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कर्ज चुकाने व वसूलने के उपाय | Remedies to Repay or Recover Loan

कर्ज चुकाने व वसूलने के उपाय | Remedies to Repay or Recover Loan
कर्ज चुकाने व वसूलने के उपाय | Remedies to Repay or Recover Loan

कर्ज चुकाने व वसूलने के उपाय

Remedies to Repay or Recover Loan


कर्ज लेना किसी को अच्छा नहीं लगता, लेकिन हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं होती कि वह एक साथ रुपए खर्च कर सके। इसीलिए बरसों से हमारे यहां कर्ज लेने की प्रथा रही है।

जो लोग सक्षम हैं, उनसे कर्ज लेना अब पुरानी बात हो गई। आजकल बैंक के माध्यम से यह काम बखूबी हो जाता है। बैंक भी वसूली करती है। यानी कर्ज तो चुकाना पड़ता ही है।

कई बार कर्ज लेने के बाद उसे लौटाना व्यक्ति को भारी पड़ता है और उसकी पूरी जिंदगी कर्ज चुकाते-चुकाते खत्म हो जाती है।
पेश है शास्त्रों और पुरानी मान्यताओं के अनुसार कर्ज लेने व देने संबंधी कुछ आसान से टिप्स। इन पर अमल करने पर आपका कर्ज, ऋण या उधार तेजी से उतर जाएगा।

1-किसी भी महीने की कृष्ण पक्ष की 1 तिथि, शुक्ल पक्ष की 2, 3, 4, 6, 7, 8, 10, 11, 12, 13, पूर्णिमा व मंगलवार
के दिन उधार दें और बुधवार को कर्ज लें।

2-चर लग्न जैसे-मेष, कर्क, तुला व मकर में कर्ज लेने पर शीघ्र उतर जाता है। लेकिन, चर लग्न में कर्जा दें नहीं। चर लग्न में पांचवें व नौवें स्थान में शुभ ग्रह व आठवें स्थान में कोई भी ग्रह नहीं हो, वरना ऋण पर ऋण चढ़ता चला जाएगा।

3-प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें।

4-हस्त नक्षत्र व रविवार की संक्रांति के वृद्धि योग में कर्ज उतारने से शीघ्र ही ऋण मुक्ति मिलती है।

5-कर्ज लेने जाते समय घर से निकलते वक्त जो स्वर चल रहा हो, उस समय वही पांव बाहर निकालें तो कार्य
सिद्धि होती है, परंतु कर्ज देते समय सूर्य स्वर को शुभकारी माना है।

2,6,10,11 यानि अरबपति

जन्म कुंडली में द्वितीय स्थान पर गहनता से विश्लेषण करना चाहिए। द्वितीय स्थान का स्वामी, उसका नक्षत्र तो देख ही लें कि उसकी क्या स्थिति है। यदि दूसरे भाव का उप स्वामी दो, तीन, छह, दस या ग्यारह भाव का कारक नहीं है तो आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती।

यदि यह छह, आठ या बारह भाव का कारक है तो कर्ज लेने की स्थिति इनके संयुक्त दशा समय में बनती है। दूसरे का उप स्वामी छठे भाव में स्थित है तो कर्ज लेने के हालात बनते हैं और जातक कर्जदार रहता है और यदि छठे भाव का उप स्वामी दूसरे में स्थित है तो ऐसा जातक ऋण देने की स्थिति में होता है।

दूसरे का उप स्वामी यदि 2 भाव का सूचक नहीं है तो जातक पर तरलता (लिक्विडटी)नहीं रहती। यदि दूसरे का उप स्वामी 2,10 का कारक हो तो पैसा अच्छा होता है।

2,6,10 भाव का सूचक हो तो करोड़पति होता है और 2,6,10 11 हो तो अरबपति होता है और 2,11 भाव का सूचक हो तो पैसा ठीकठाक बना रहता है, लेकिन इनके साथ यदि 4, 5, 7, 8, 12 में से कोई भी एक भाव का सूचक दूसरे भाव का उप स्वामी हो जाए तो वित्तीय स्थिति कमजोर हो जाती है।

दूसरे भाव का उप स्वामी यदि नवम भाव का सूचक हो जाए तो दान, पुण्य, ट्रस्ट आदि का पैसा आता है और आठ आए तो बिना मेहनत का अचानक आता भी है और चला भी जाता है।

लेखक-संजय बी शाह