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दैनिक जीवन में ज्‍योतिषीय उपचार (Astrological Remedies)

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दैनिक जीवन में ज्‍योतिषीय उपचार (Astrological Remedies) आपके जीवन में लय बनाये रखने में अहम भूमिका निभाते हैं अगर आप इन्हें ईमानदारी पूर्वक करें

एक कुशल गृहिणी चूल्‍हा जलाने के बाद पहली रोटी कुत्‍तों के लिए और एक रोटी गाय के लिए बचाकर रखती है। घर की सफाई के दौरान जब पोंछा लगाती है तो बाल्‍टी के पानी में नमक मिलाती है। शाम के समय मंदिर जाते हुए चीटिंयों के लिए थोड़ा आटा और चीनी लेकर निकलती है।

देखने में ये दैनिक जीवन का हिस्‍सा दिखाई दे सकते हैं, लेकिन अधिकांश महत्‍वपूर्ण ज्‍योतिषीय उपचार (Astrological Remedies) इन्‍हीं से जुड़े हुए हैं। महंगे रत्‍नों अथवा पुरोहितों के सानिध्‍य में यज्ञ हवन करवाने की तुलना में रोजाना का यह मौन यज्ञ आपको कई तरह की बाधाओं से बचाकर रखता है।

दिनचर्या से जुड़े ये नियम सामान्‍य नियम न होकर ज्‍योतिषीय उपचारों के नियम हैं। हर उपचार अपनी श्रेणी का श्रेष्‍ठ उपचार है।

किसी भी जातक की कुण्‍डली में पीड़ा देने वाले ग्रहों में राहु, केतु और शनि शामिल है। इसके अलावा हर लग्‍न के लिए बाधकस्‍थानाधिपति और मारक ग्रहों की पीड़ा भी शामिल होती है। इन समस्‍याओं का समाधान हमारे घर में मौजूद है।

किसी ग्रह का प्रभाव बढ़ाने अथवा खराब प्रभाव को खत्‍म करने के लिए रत्‍न पहनाए जाते हैं।पीड़ादायी ग्रहों का उपचार करने के लिए दो ही साधन प्रमुख हैं, इनमें पहला है दान और दूसरा है साधना।

साधना किसी समय विशेष पर की जा सकती है, लेकिन दान का महत्‍व हर दिन है। जैसे जैसे दान का क्रम आगे बढ़ता है पूर्वजन्‍म के कर्मों का बंधन भी ढीला होने लगता है और जातक क्रमश: अधिक सुखी होता जाता है। हर ग्रह से संबंधित उपचार पूर्व में ही तय हैं।

ग्रह की प्रकृति के अनुसार : ज्‍योतिषीय उपचार (Astrological Remedies)

सूर्य (Sun) : किसी जातक की कुण्‍डली में सूर्य खराब परिणाम दे रहा हो तो लाल किताब (Lal Kitab) के अनुसार उस जातक के मुंह से बोलते समय थूक उछलता रहता है। शरीर के कुछ अंग आंशिक या पूर्ण रूप से नकारा (paralysis) होने लगते हैं।

ऐसे जातकों को सुबह उठकर सूर्य देवता को अर्ध्‍य देना चाहिए और लाल मुंह के बंदर की सेवा करनी चाहिए। आठवें का सूर्य होने पर सफेद गाय के बजाय लाल अथवा काली गाय की सेवा करने के लिए कहा गया है।

चंद्र (Moon): माता की सेवा करने से चंद्रमा के शुभ फल मिलने शुरू होते हैं। घर के बुजुर्गों, साधू और ब्राह्मणों के पांव छूकर आशीर्वाद लेने से चंद्रमा के खराब प्रभावों को भी दूर किया जा सकता है।

रात के समय सिराहने के नीचे पानी रखकर सुबह उसे पौधों में डालने से चंद्रमा का असर दुरुस्‍त होता है। घर का उत्‍तरी पश्चिमी (North-West) कोना चंद्रमा का स्‍थान होता है। यहां पौधे लगाए जाएं और सुबह शाम पानी दिया जाए तो चंद्रमा का प्रभाव उत्‍तम बना रहता है।

मंगल (Mars): आंख में खराबी हो या संतान उत्‍पत्ति में बाधा आ रही हो तो इसे मंगल के खराब प्रभाव के तौर पर देखा जाता है। भाइयों की सहायता और ताया और ताई की सेवा करे तो मंगल का अच्‍छा प्रभाव मिलता है। लाल रंग का रुमाल पास में रखने से मंगल का खराब प्रभाव खत्‍म होता है।

महिलाओं में मंगल का असर बढ़ाने के लिए तो उन्‍हें लाल चूडि़यां, लाल सिंदूर, लाल साड़ी, लाल टीकी लगाने के लिए कहा जाता है। लोक मान्‍यता में इन्‍हें सुहाग (Spouse) से जोड़ा गया है।

बुध (Murcury): गंध का पता न लगे और सामने के दांत गिरने (Tooth Decay) लगे तो समझ लीजिए कि बुध का खराब प्रभाव आ रहा है। ऐसे में फिटकरी से दांत साफ करने से बुध का खराब प्रभाव कम होता है। बुध खराब होने से व्‍यापारियों का दिया या लिया धन अटकने लगता है।

गायों को नियमित रूप से पालक खिलाने से यह रुका हुआ धन फिर से मिलने लगता है। छत पर जमा कचरा भी ऋण (Loan) को बढ़ाता है। इसे हटाने से ऋण का बोझ कम होता है और व्‍यापार  सुचारू चलता है।

गुरु (Jupiter): रमते साधू को पीले वस्‍त्र दान करने और भोजन कराने से गुरु के अच्‍छे परिणाम हासिल होते हैं। जिन जातकों की गुरू की दशा चल रही हो, अगर वे नियमित रूप से अपने ईष्‍ट के  मंदिर जाएं और पीपल में जल सींचें तो गुरु की दशा में अच्‍छे लाभ हासिल कर सकते हैं। इसी दशा में स्‍कूल एवं धर्म स्‍थान में नियमित अंतराल में दान करना भी भाग्‍य को बढ़ाता है।

शुक्र (Venus): चमड़ी के रोग और अंगूठे पर चोट से शुक्र के खराब प्रभाव का पता चलता है। अगर प्रतिदिन रात के समय अपने हिस्‍से की एक रोटी गाय को दें तो शुक्र का प्रभाव यानी समृद्धि तेजी से बढ़ती है। शुक्र का खराब प्रभाव हो तो रात के समय बैठी गाय को गुड़ देना लाभदायक होता है। सुहागिनों को समय-समय पर सुहाग की वस्‍तुएं देने से शुक्र के प्रभाव बढ़ता है।

शनि (Saturn): जूते खोने, घर में नुकसान, पालतू पशु मरने और आग लगने से शनि का खराब प्रभाव देखा जाता है। डाकोत  को नियमित रूप से तेल देने, साधू को लोहे का तवा, चिमटा या अंगीठी दान करने से शनि का प्रभाव अच्‍छा हो जाता है। शनि के अच्‍छे प्रभाव लेने के लिए नंगे पैर मंदिर जाना चाहिए।

राहु (Dragon Head): अनचाही समस्‍याएं (Unexpected Circumstances) राहु से आती हैं। घर का दक्षिणी पश्चिमी (South-West) कोना राहु का है। इस कोने में कभी गंदगी नहीं रहनी चाहिए। घर के दक्षिणी पूर्वी (South-East) कोने में आवश्‍यक रूप से हरियाली का वास रखना चाहिए।

परिवार का जो सदस्‍य राहु से पीडि़त हो उसे हरियाली के पास रखें। अंधेरे और गंदगी वाले कोनों में राहु का वास होता है। अगर हर कोने को साफ और उजला रखेंगे तो राहु के खराब प्रभाव से दूर रहेंगे।

केतु (Dragon Tail): जोड़ों का दर्द (Arthritis) और पेशाब की बीमारी  मुख्‍य रूप से केतु की समस्‍या के कारण आते हैं। कान बींधना, कुत्‍ता पालना केतु के खराब प्रभाव को कम करता है। संतान को कष्‍ट होने पर काला-सफेद कंबल साधू  को देने से कष्‍ट दूर होता है।


कुछ अन्य  ज्‍योतिषीय उपचार (Astrological Remedies)

इन उपचारों के अलावा बहुत से घरेलू ज्‍योतिषीय उपचार (Astrological Remedies) ऐसे भी हैं जो हम दैनिक जीवन में इस्‍तेमाल करते रहते हैं।

मसलन खाने में हल्‍दी का इस्‍तेमाल गुरु को दुरुस्‍त करता है और हींग का इस्‍तेमाल राहु के प्रभाव को कम करता है। चौके में बैठकर खाना खाने से राहु की दशा का खराब प्रभाव तक कम हो सकता है।

घर में नमक मिला पोंछा लगाने से नकारात्‍मक ऊर्जा में कमी आती है। अतिथि को संतुष्‍ट कर भेजने से गुरु यानी सांसारिक साधनों में तेजी से वृद्धि होती है। सुहागिनों के घर में बार-बार प्रवेश करने से शुक्र यानी समृद्धि बढ़ती है।