Home Astrology Kundli Horoscope खुद जाने अपना भाग्‍यशाली दिन (bhagyshali)

खुद जाने अपना भाग्‍यशाली दिन (bhagyshali)

खुद जाने अपना भाग्‍यशाली दिन (bhagyshali)
खुद जाने अपना भाग्‍यशाली दिन (bhagyshali)

हर किसी का अच्‍छा भाग्‍यशाली (bhagyshali) दिन होता है। कोई इसे किसी विशेष तारीख के साथ जोड़ लेता है तो कोई इसे अपने किसी खास वार या महीने से। यह सही है कि हमारा कोई कोई दिन इतना अच्‍छा होता है कि अनुकूलताएं ही शक पैदा करने लगती हैं कि कहीं सबकुछ ठीक भी हो रहा है या नहीं।

लेकिन उस दिन कुछ गड़बड़ नहीं होती और जो चाहें वही काम चुटकियों में होते चले जाते हैं। आपका कौनसा दिन भाग्‍यशाली (bhagyshali) होगा, यह आप खुद जान सकते हैं। हालांकि यह काम कुछ श्रम और धैर्य की मांग करता है।

एक बार आपके सामने स्थिति स्‍पष्‍ट हो जाए कि अमुक अमुक तारीखें आपके सर्वाधिक अनुकूल होंगी, तो उसके बाद आप अपने दुरूह कार्यों की योजना उन दिनों के मुताबिक बना सकते हैं। तरीका बताने से पहले आपको यह स्‍पष्‍ट करना चाहता हूं‍ कि तारीखें, वार या माह किसी संयोग के कारण आपको कई बार अनुकूल या प्रतिकूल मिल सकते हैं, लेकिन नक्षत्र पद्धति का अनुसरण किया जाए तो आप उस दिन का सटीक अनुमान कर सकते हैं, जिस दिन आपको सर्वाधिक अनुकूलताएं मिले।

हमारे भचक्र (Zodiac) यानी ऊपर दिखाई देने वाले आकाश को राशियों के मुताबिक जहां 12 राशियों (Rashis) में बांटा गया है, वहीं नक्षत्रों (Nakshtras) के आधार पर इनके 27 विभाजन किए गए हैं। आपकी कुण्‍डली में ग्रहों की स्थिति राशियों में बताई जाती है। हर राशि सवा दो नक्षत्रों से मिलकर बना होता है।

ऐसे में आपकी कुण्‍डली का कारक ग्रह, अनुकूल ग्रह या लग्‍न का अधिपति या भाग्‍य भाव का अधिपति जिस राशि (Sign) में होगा, उसी राशि में एक विशेष नक्षत्र में भी होगा। अब एक ज्‍योतिषी ही ठीक ठीक गणना कर सकता है कि आपके लिए अनुकूलतम नक्षत्र कौनसे हैं।

मैं यहां आपको अंधी गली में छोड़ना नहीं चाहता। ज्‍योतिष सीखने के इतर आपके पास एक वैकल्पिक तरीका भी है। जिसे थंब रूल की तरह इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

27 नक्षत्र (Constellation)

  1. अश्विनी (Ashwani) – स्‍वामी केतू
  2. भरणी (Bharni) – स्‍वामी शुक्र
  3. कृतिका (kritika) – स्‍वामी सूर्य
  4. रोहिणी (Rohini) – स्‍वामी चंद्र
  5. मृगशिरा (Mrigshira) – स्‍वामी मंगल
  6. आर्द्रा (Aarudra) – स्‍वामी राहू
  7. पुनर्वसु (Punarvasu) – स्‍वामी गुरु
  8. पुष्‍य (Pushya) – स्‍वामी शनि
  9. आश्‍लेषा (Aashlesha) – स्‍वामी बुध
  10. मघा (Magha) – स्‍वामी केतू
  11. पूर्वाफाल्‍गुनी (Poorvafalguni) – स्‍वामी शुक्र
  12. उत्‍तराफाल्‍गुनी (Uttarafalguni) – स्‍वामी सूर्य
  13. हस्‍त (Hasta) – स्‍वामी चंद्र
  14. चित्रा (Chitra)- स्‍वामी मंगल
  15. स्‍वाति (Swati)- स्‍वामी राहू
  16. विशाखा (Vishakha) – स्‍वामी गुरू
  17. अनुराधा (Anuradha) – स्‍वामी शनि
  18. ज्‍येष्‍ठा (Jyeshtha) – स्‍वामी बुध
  19. मूला (Moola) – स्‍वामी केतू
  20. पूर्वाषाढ़ा (Poorvashadha) – स्‍वामी शुक्र
  21. उत्‍तराषाढ़ा (Uttrashadha) – स्‍वामी सूर्य
  22. श्रवण (Shravan) – स्‍वामी चंद्र
  23. धनिष्‍ठा (Dhanishtha) – स्‍वामी मंगल
  24. शतभिषा (Shatbhisha) – स्‍वामी राहू
  25. पूर्वभाद्रपद (Poorvabhadrapad) – स्‍वामी गुरु
  26. उत्‍तरभाद्रपद (Uttarbhadrapad) – स्‍वामी शनि
  27. रेवती (revti) – स्‍वामी बुध

नक्षत्रों के स्‍वामी इस प्रकार हैं

  • केतु (Ketu) : अश्विन, मघा, मूल
  • शुक्र (Shukra) : भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़
  • सूर्य (Surya) : कार्तिक, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़
  • चंद्र (Chandra) : रोहिणी, हस्त, श्रवण
  • मंगल (Mangal) : मॄगशिरा, चित्रा, श्रविष्ठा
  • राहु (Rahu) : आद्रा, स्वाति, शतभिषा
  • गुरू (Guru) : पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वभाद्रपदा
  • शनि (Shani) : पुष्य, अनुराधा, उत्तरभाद्रपदा
  • बुध (Budh) : अश्लेशा, ज्येष्ठा, रेवती

अब इससे आगे समझते हैं। अगर आप ध्‍यान देंगे तो साल के सभी माह, वार या तारीखें किसी लय में नहीं हैं, लेकिन नक्षत्र एक विशिष्‍ट लय में होते हैं। नक्षत्रों का यह विभाग पाराशर द्वारा तय किया गया है। हमें इसी लय को पकड़ने का प्रयास करना है। चंद्रमा इन्‍हीं 27 नक्षत्रों में से होकर गुजरता है। एक नक्षत्र का समय करीब करीब 24 घंटे होता है।

कुछ नक्षत्र 24 घंटे से अधिक होते हैं तो कुछ 24 घंटे से कुछ कम। अब आपको बस इतना करना है कि इन 27 नक्षत्रों को एक जगह नोट करके रख लेना है। कालदर्शक या ऐसा ही कोई दूसरा कलेण्‍डर (Calendar) जिसमें कि नक्षत्रों के बारे में भी दिया गया हो। यहां ध्‍यान रखने की बात यह है कि नक्षत्र का समाप्तिकाल (End time) सावधानी से देखा जाए।

कई बार कलेण्‍डर या पंचांग किसी विशेष दिन का नक्षत्र बताता है लेकिन उसी दिन सुबह नौ दस बजे तक उसका समाप्ति काल भी आ जाता है। ऐसे में आप सही नक्षत्र का फल नहीं देख पाएंगे।

एक बार इन नक्षत्रों को नोट कर लेने के बाद आपको तीन आवृत्ति तक यह देखना है कि किस नक्षत्र के दौरान आपका समय अच्‍छा गया है। जिन जिन नक्षत्रों के स्‍वामी आपके अनुकूल होंगे, वही दिन आपके बेहतर जाएंगे और जो नक्षत्र आपके प्रतिकूल होंगे, वह दिन निश्‍चय ही खराब जाएगा।

कुल जमा 27 नक्षत्रों को आप तीन आवृत्ति तक देखेंगे तो आपको कुल समय लगेगा 81 दिन। यानी करीब तीन महीने का समय। इस अवधि में जहां नक्षत्र तीन बार आवृत्ति करेंगे वहीं उनके अधिपति ग्रहों यानी सूर्य, बुध आदि को आप 9 बार देख चुके होंगे। क्‍योंकि हर ग्रह के पास तीन तीन नक्षत्रों का आधिपत्‍य है। ऐसे में आपके लिए यह भी देखना आसान हो जाएगा कि कौनसा ग्रह आपके लिए अधिक अनुकूल है।

इतना कर लेने के बाद आपको यह अनुमान हो जाएगा कि कौनसा दिन (Lucky day) बेहतर है और कौनसा खराब। यह कोई भी वार या कोई भी तारीख हो सकती है। यहां तक कि अंक पद्धति को भी परे रखा जा सकता है। इससे अधिक यह देखने के लिए यह दिन क्‍या देकर जाएगा, आपको ज्‍योतिष की मदद लेनी ही पड़ेगी।

क्‍योंकि हर ग्रह का अपना कारकत्‍व है और उस ग्रह से संबंधित फल भी अलग अलग आएंगे। इतनी कवायद के बाद आप इस बाबत भी निश्चिंत हो जाएं कि अमुक दिन आपके लिए श्रेष्‍ठ है तो आप काफी राहत प्राप्‍त कर सकते हैं।

कोशिश कीजिए कि आप अपने अनुकूल नक्षत्रों को जानें और हो सके तो मुझे भी बताएं। शुरू करने की तारीख और तीन आवृत्ति पूरा करने की तारीख के साथ आप अपना डाटा और जिज्ञासा भी भेजेंगे तो आपको स्‍पष्‍ट कर पाउंगा कि आपने जो मेहनत की है, वह कितनी सफल हो पाई है।