Home Astrology Kundli Horoscope एक ज्‍योतिषी का जातक के नाम पत्र (Open latter)

एक ज्‍योतिषी का जातक के नाम पत्र (Open latter)

Astrologer's Open latter to his jataka Astrology Specialist in India

प्रिय जातक,

एक ज्‍योतिषी के रूप में जब मैं तुम्‍हारे सामने आता हूं तब दैहिक दृष्टिकोण से यह हमारी पहली ही मुलाकात होती है। तुम्‍हें ऐसा लगता होगा कि तुम मुझसे पहली बार मिल रहे हो। मुझे भी कमोबेश पहली मुलाकात में ऐसा ही लगता है। हकीकत इससे कुछ जुदा होती है। इस पत्र (Open latter) में एक ज्योतिषी (Astrologer) के मन में चलने वाले विचार और जातक (Jataka) के रूप में तुम्‍हारी अपेक्षाओं पर चर्चा करना चाहता हूं।

हमारे मिलने से कई क्षणों, मिनटों, घंटों, दिनों, हफ्तों, महीनों या कभी कभार सालों पहले तुमसे मिलने की तैयारी शुरू हो चुकी होती है। तुम्‍हारे साथ बिताए पल कुछ इस तरह होते हैं कि तुम मेरे चेहरे और कुण्‍डली के निर्जीव से खानों पर नजर गड़ाए देखते रहते हो और मैं समय के विस्‍तार में खो जाता हूं। जहां सितारों के संकेत पूरी शिद्दत से तुम्‍हारी कहानी कह रहे होते हैं।

समय के फलक पर उन क्षणों में मैं तुम्‍हारे साथ विचरण करता हूं। हां, मैं यह दावा करता हूं कि भूत, वर्तमान और भविष्‍य के बीच समय ने जो पर्दा डाल रखा है, मैं उसके पार देखने जुर्रत करता हूं।

मेरे गुरुओं ने मुझे सिखाया कि संकेतों को समझो और खुद को इतना पारदर्शी बनाओ कि जो जातक अपनी समस्‍याएं लेकर आए वह चाहे तो भी तुमसे अपने अतीत को छिपा न सके, ताकि तुम जातक की वर्तमान सुदशा या दुर्दशा का सही आकलन कर सको।

हां, मैंने अभ्‍यास किया है, समय के पार झांकने का। मुझे खुद नहीं पता कि संकेत कहां से और कितनी मात्रा में आते हैं, लेकिन जब आते हैं तो इतने स्‍पष्‍ट होते हैं कि मैं खुद आश्‍चर्यचकित रह जाता हूं। मैं उन्‍हें देखकर बोलता हूं और जातक को लगता है जैसे मैं कहीं नेपथ्‍य में लिखे उसके भूतकाल को पढ़कर सुना रहा हूं।

संकेतों का विश्‍लेषण और जातक के जीवन की घटनाओं का तारतम्‍य इतना रोचक होता है कि मैं खुद भी मुग्‍ध हो जाता हूं और तुम्‍हें तो मैं आश्‍चर्यचकित होता हुआ देखता हूं।

Astrologcal Time

डरता हूं कि कहीं प्रकृति के ये संकेत खो गए तो। हां, संकेत खो भी जाते हैं। निराशा में हाथ-पैर मारता हूं। मुझे लगता है कि जातक आया है तो कुछ न कुछ जवाब लेकर जाए। सब व्‍यर्थ, कुछ हाथ नहीं आता। लगता है जातक एक बंद किताब की तरह है। इसके कई कारण होते हैं।

कभी कुण्‍डली गलत होती है तो कभी जातक झूठ बोल रहा होता है तो कभी कभार गोचर भी साथ देने से मना कर देता है। मैं भी थक हारकर मान लेता हूं कि ग्रह ज्‍योतिषी पर भी कुछ असर तो करते होंगे। अपनी ईमानदारी बचाए रखने के लिए स्‍पष्‍टत: हार मान लेता हूं।

दूसरे जातकों से मेरे बारे में सुनकर आए जातक को भी निराशा होती है। ऐसे में कुछ न कर पाने को ईश्‍वर की शक्ति का एक रूप मानता हूं और उसके सामने श्रद्धा से झुक जाता हूं।

हमें ब्रह्मा के पुत्र होने का गौरव प्राप्‍त है। एक ओर जहां मेरे मन में इस लोक में प्रसिद्धि पाने का ख्‍याल होता है वहीं दूसरी ओर ब्रह्मा से मिले इस गुण की रक्षा करने की जिम्‍मेदारी सिर पर होती है। कई बार ऐसा होता है कि तुम अपनी अपेक्षाएं लेकर मेरे पास आते हो, लेकिन मुझे निकट और सुदूर भविष्‍य में कुछ और ही दिखाई दे रहा होता है।

ऐसे में मुझे हिम्‍मत जुटानी होती है कि तुम्‍हारी अपेक्षाओं को दरकिनार कर तुम्‍हें स्‍पष्‍ट वह बताउं जो आसन्‍न दिखाई दे रहा है। कभी तुम सहमत हो जाते हो तो कई बार ऐसा भी होता है कि तुम निराश होकर मेरे सामने से उठ जाते हो। मेरे लिए मेरी विद्या अधिक महत्‍वपूर्ण है। उससे किसी भी सूरत में समझौता नहीं कर सकता।

तुम्‍हारी कुछ काल की निराशा मेरे लिए उस समय उल्‍लास का कारण बनती है, जब तुम कई महीनों और कभी कभार तो सालों बाद लौटकर आते हो और कहते हो कि मैं सही था। आगाह किए जाने के बावजूद तुम नहीं संभलते। कहीं तुम्‍हारे पूर्व जन्‍मों के कर्म भी तो आड़े आते हैं। बताए गए उपचार भी तुम नहीं कर पाते।

मैं सोचता रह जाता हूं कि जब पता था कि समय खराब है और अमुक उपचार किए जाने की जरूरत थी, इसके बावजूद जातक ने प्रायश्चित के रूप में उन उपचारों को क्‍यों नहीं किया। यही जवाब सामने आता है कि जातक को जो भोगना लिखा है वह तो भोगेगा ही। भाग्‍य को धोखा तो नहीं दिया जा सकता।

तुम्‍हारा ज्‍योतिषी

Astrologer Sidharth
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