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वर्ष 2018 – सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण

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वर्ष 2018 – सूर्य ग्रहण एवं चंद्र ग्रहण Year 2018 – Solar and lunar eclipse

ज्‍योतिष के दृष्टिकोण से वर्ष 2018 कई महत्‍वपूर्ण खगोलीय घटनाओं को समेटे हुए होगा। इस वर्ष तीन सूर्य ग्रहण eclipse होंगे, चूंकि तीनों ही सूर्य ग्रहण भारतवर्ष में दिखाई नहीं देंगे, अत: भारतवर्ष में रहने वाले लोगों को इसके सूतक का पालन करने की भी जरूरत नहीं है। वर्ष के दौरान दो बार खण्‍डग्रास चंद्र ग्रहण होगा। इन दोनों चंद्र ग्रहणों का सूतक भी लागू होगा। नीचे ग्रहण, सूतक और मोक्ष का समय दिया गया है।

सूतक – सूर्य अथवा चंद्र ग्रहण से पूर्व और पश्‍चात् के कुछ समय को सूतक माना गया है। सनातन मान्‍यता के अनुसार सूतक की अवधि में पृथ्‍वी का वातावरण दूषित हो जाता है। ऐसे में सूतक के दौरान दोष  से बचने के लिए कुछ अतिरिक्‍त सावधानियां रखने का प्रावधान किया गया है।

सूतक का समय – सूर्य ग्रहण से पहले चार प्रहर और चंद्र ग्रहण से पहले तीन प्रहर का सूतक माना गया है। एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच आठ प्रहर का समय होता है। ऐसे में आप मान सकते हैं कि सूर्य ग्रहण से करीब 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से करीब 9 घंटे पहले सूतक प्रारंभ हो जाता है।

सूतक के दौरान भोजन – सूतक और ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार का ठोस अथवा तरल भोजन निषिद्ध होता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण से बाहर घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से 9 धंटे पहले से शुरू कर ग्रहण समाप्‍त होने तक कुछ भी नहीं खाना चाहिए। बच्‍चों, बीमार और वृद्ध लोगों के लिए यह अवधि घटाकर एक प्रहर यानी करीब 3 घंटे की गई है।

सूतक को केवल उसी स्‍थान पर माना जाता है जहां पर ग्रहण स्‍पष्‍ट रूप से दिखाई दे रहा हो, अगर ग्रहण न दिखे तो उस स्‍थान पर सूतक के पालन की आवश्‍यकता नहीं होती है। मसलन देश के उत्‍तरी भूभाग में ग्रहण दिखाई दे रहा है, लेकिन दक्षिण में नहीं तो दक्षिण में सूतक लागू नहीं होगा।

प्रसूता के लिए सावधानी – प्रसूताओं को स्‍पष्‍ट रूप से निर्देश है कि उन्‍हें ग्रहण काल में घर में ओट में ही रहना चाहिए, किसी भी सूरत में बाहर न निकलें। ऐसा माना जाता है कि सूर्य अथवा चंद्रमा पर राहु अथवा केतू के दुष्‍प्रभाव का असर आने वाले संतान पर पड़ सकता है। इससे संतान विकलांग हो सकती है अथवा गर्भपात हो सकता है। प्रसूताओं को इस अवधि में किसी प्रकार के वस्‍त्र काटने अथवा सिलने से भी मना किया गया है, इसका भी संतान पर समान दुष्‍प्रभाव होता है।

सभी के लिए निषिद्ध कार्य – तेल मालिश, पानी पीना, मल मूत्र विसर्जन, बाल संवारना, दातुन करना और संभोग अथवा प्रेमालाप इस अवधि में नहीं करना चाहिए।

ग्रहण के बाद – ग्रहण के बाद ताजा बना हुआ भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। गेहूं, चावल, अचार आदि भोज्‍य पदार्थों को फेंकना नहीं होता है, कुश अथवा तुलसी के पत्‍ते ऐसे भोज्‍य पदार्थों के बर्तन में रखें तो उन पर ग्रहण का असर समाप्‍त हो जाता है। ग्रहण समाप्‍त होने के बाद स्‍नान और दान करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि ग्रहण के ठीक बाद किया गया दान सर्वश्रेष्‍ठ फल देता है।


ग्रहण के दौरान किए जाने वाले मंत्र

तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।

हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥

श्लोक अर्थ – अन्धकाररूप महाभीम चन्द्र-सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्णतारा दान से मुझे शान्ति प्रदान करें।

विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंहिकानन्दनाच्युत।

दानेनानेन नागस्य रक्ष मां वेधजाद्भयात्॥२॥

श्लोक अर्थ – सिंहिकानन्दन (पुत्र), अच्युत! हे विधुन्तुद, नाग के इस दान से ग्रहणजनित भय से मेरी रक्षा करो।


वर्ष 2018 में सूर्य ग्रहण Solar eclipse in Year 2018

  1. सूर्य ग्रहण – 16 फरवरी 2018 शुक्रवार, भारत में नहीं दिखेगा, अंटार्कटिका में इसका अधिकतम प्रभाव होगा। सो इस ग्रहण का सूतक और मोक्ष लागू नहीं होगा।
  2. सूर्य ग्रहण – 13 जुलाई 2018 शुक्रवार, यह भी भारत में नहीं दिखेगा और अधिकतम प्रभाव अंटार्कटिका में होगा। इस ग्रहण का भी सूतक और मोक्ष भारत में लागू नहीं होगा।
  3. सूर्य ग्रहण – 11 अगस्‍त 2018 शनिवार को होगा। उत्‍तरी ध्रुव के पास इसका अधिकतर असर होगा। इस ग्रहण का भी सूतक और मोक्ष भारत में लागू नहीं होगा।

वर्ष 2018 में चंद्र ग्रहण Lunar eclipse in year 2018

  1. खग्रास चंद्र ग्रहण – 31 जनवरी 2018 बुधवार के दिन चंद्रोदय के साथ ही चंद्रग्रहण शुरू हो जाएगा। यह नई दिल्‍ली में शाम 7 बजकर 58 मिनट से 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा।
  • उपच्छाया से पहला स्पर्श – 16:21:15
  • प्रच्छाया से पहला स्पर्श – 17:18:27
  • खग्रास प्रारम्भ – 18:21:47
  • परमग्रास चन्द्र ग्रहण – 18:59:50
  • खग्रास समाप्त – 19:37:51
  • प्रच्छाया से अन्तिम स्पर्श – 20:41:10
  • उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श – 21:38:26
  • खग्रास की अवधि – 01 घण्टा 16 मिनट्स 04 सेकण्ड्स
  • खण्डग्रास की अवधि – 03 घण्टे 22 मिनट्स 43 सेकण्ड्स
  • उपच्छाया की अवधि – 05 घण्टे 17 मिनट्स 11 सेकण्ड्स
  • चन्द्र ग्रहण का परिमाण – 1.32
  • उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण – 2.29
  • सूतक प्रारम्भ – 07:07:21
  • सूतक समाप्त – 20:41:10
  1. खग्रास चंद्र ग्रहण – 28 जुलाई 2018 शनिवार को चंद्रग्रहण होगा। दिल्‍ली में यह ग्रहण 27 जुलाई की रात 23 बजकर 54 मिनट पर शुरू होगा और 28 जुलाई को सुबह 3 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। ग्रहण की अवधि 3 घंटे 54 मिनट की रहेगी। जब चन्द्र ग्रहण मध्यरात्रि (१२ बजे) से पहले लग जाता है परन्तु मध्यरात्रि के पश्चात समाप्त होता है – दूसरे शब्दों में जब चन्द्र ग्रहण अंग्रेजी कैलेण्डर में दो दिनों का अधिव्यापन (ओवरलैप) करता है – तो जिस दिन चन्द्रग्रहण अधिकतम होता है उस दिन की दिनाँक चन्द्रग्रहण के लिये दर्शायी जाती है। ऐसी स्थिति में चन्द्रग्रहण की उपच्छाया तथा प्रच्छाया का स्पर्श पिछले दिन अर्थात मध्यरात्रि से पहले हो सकता है।
  • उपच्छाया से पहला स्पर्श – 22:44:48 – 27th, जुलाई को
  • प्रच्छाया से पहला स्पर्श – 23:54:26 – 27th, जुलाई को
  • खग्रास प्रारम्भ – 01:00:14
  • परमग्रास चन्द्र ग्रहण – 01:51:43
  • खग्रास समाप्त – 02:43:11
  • प्रच्छाया से अन्तिम स्पर्श – 03:48:59
  • उपच्छाया से अन्तिम स्पर्श – 04:58:37
  • खग्रास की अवधि – 01 घण्टा 42 मिनट्स 56 सेकण्ड्स
  • खण्डग्रास की अवधि – 03 घण्टे 54 मिनट्स 32 सेकण्ड्स
  • उपच्छाया की अवधि – 06 घण्टे 13 मिनट्स 48 सेकण्ड्स
  • चन्द्र ग्रहण का परिमाण – 1.61
  • उपच्छाया चन्द्र ग्रहण का परिमाण – 2.68
  • सूतक प्रारम्भ – 12:27:28 – 27th, जुलाई को
  • सूतक समाप्त – 03:48:59